VRINDAVAN (11 Jan.): वृंदावन में कहीं भी यमुना जल को अंजुली में भरकर देख लीजिए, यमुना जल की स्वच्छता को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे बकवास नजर आएंगे। पतित पावनी और मोक्षदायिनी यमुना की धारा प्रदूषण की मार से खुद को बचाने को चीत्कार करती नजर आती है। यह हाल तब है जब बीते डेढ़ दशक में अरबों रुपए यमुना सफाई के नाम पर बहाए जा चुके हैं।

लाखों लोग लगाते हैं डुबकी

दो दिन बाद मकर संक्रांति का पर्व है और वृंदावन में भी लाखों लोग यमुना में डुबकी लगाएंगे। लेकिन इसका भान प्रशासनिक अफसरों को नहीं। केशीघाट हो या चीरघाट समेत वृंदावन के दूसरे घाट। पानी की इस कदर कमी कि यमुना में कीचड़ अधिक नजर आ रहा है। कहीं-कहीं तो बालू के टीले दिखाई दे रहे हैं। यमुना की मलिनता से श्रद्धा और जल जीव सभी परेशान हैं। लेकिन इन सबके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यमुना में दिन-रात गिरते तकरीबन एक दर्जन नाले दिखते ही नहीं।

सोमवार को यमुना के पानी में गंदगी देख अनेक श्रद्धालु विचलित हो गए। कई के मुंह से निकला कि ऐसे पानी में कौन स्नान करेगा? दरअसल, जल निगम शहर के अनेक हिस्सों में सीवरेज लाइनों को बिछाने का अब तक पूर्ण नहीं करा सका है। जहां ये लाइनें बिछ गई हैं, उनकी सफाई नहीं हो पायी है। ऐसे में इन लाइनों से शहर का गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक नहीं जा पा रहा है। इस कारण से शहर का गंदा पानी नालों के जरिए यमुना में प्रवाहित हो रहे हैं।

एनजीटी के आदेश के बाद भी विसर्जित कर रहे सामग्री

पिछले साल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेशित किया था कि वे यमुना में फूल मालाएं और हवन के बाद की राख आदि को प्रवाहित न होने दें। लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया। घाट किनारे फूल-मालाएं पड़ी हुई देखी जा सकती हैं।

अधिशासी अभियंता, जल निगम निजामुद्दीन सीवरेज लाइनों का कार्य अंतिम चरण में है। लाइनों को जोडऩे और इसकी सफाई आदि कार्य कराए जा रहे हैं। ये कार्य शीघ्र पूरे हो जाएंगे। इसके बाद शहर का गंदा पानी यमुना में प्रवाहित नहीं हो सकेगा।