साथ ही येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी का भाजपा में विलय हो गया है.

साल 2011 में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते येदियुरप्पा को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

लेकिन पूरे मामले में लोकायुक्त से क्लीन चिट मिलने के बाद भी कर्नाटक सरकार में पुरानी जगह न मिलने पर बागी हुए येदियुरप्पा ने केजेपी बनाकर 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान पहुंचाया था.

येदियुरप्पा ने भारतीय जनता पार्टी में वापसी की घोषणा करते हुए कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी में कोई पद नहीं लेंगे.

भाजपा मज़बूत

येदियुरप्पा की वापसी को आगामी आम चुनावों में कर्नाटक में भाजपा की मजबूती से जोड़कर देखा जा रहा है.

विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा के भारतीय जनता पार्टी में न होने का खामियाजा पार्टी पहले ही भुगत चुकी है, इसलिए लोकसभा चुनावों से पहले उनकी वापसी को भाजपा के मजबूत होने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

येदियुरप्पा के पार्टी छोड़कर जाने के बाद विधानसभा में 121 सीटों वाली सत्तारूढ़ भाजपा को राज्य में सिर्फ 40 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.

लेकिन येदियुरप्पा की केजेपी भी कोई कमाल नहीं दिखा पाई और उसे राज्य में 6 सीटें ही मिली थी.

भाजपा की इस हार को येदियुरप्पा से ही जोड़कर देखा गया था. क्योंकि भाजपा को कर्नाटक में मजबूत करने वाले येदियुरप्पा प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक लिंगायत से आते हैं.

इससे पहले कर्नाटक के पूर्व उप मुख्यमंत्री के एस ईश्वरप्पा ने येदियुरप्पा के पार्टी में वापस आने के फैसले का स्वागत किया है.

उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस को हराने का विश्वास जताते हुए कहा कि येदियुरप्पा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के एकमात्र लक्ष्य से भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी.

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