ALLAHABAD: योग हमारी संस्कृति में आदिकाल से रचा बसा हुआ है। आज के जीवन शैली में खुद को दुरुस्त रखने में भी योग की अहम भूमिका है। ऐसे में योग के नियमित अभ्यास से दैनिक जीवन में आने वाली कई परेशानियों से निजात हासिल की जा सकती है। व‌र्ल्ड योगा डे की पूर्व संध्या पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम ने योग गुरु आनंद गिरी महाराज से बातचीत। इस दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण योग और उसे लाभ के बारे में बताया।

1. कपालभाति प्राणायाम

ऐसे करें: रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए आराम से बैठ जाएं। हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटने पर रखें। एक लंबी गहरी सांस ले। सांस को छोड़ते हुए अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। ये क्रिया जितनी हो सके उतना ही करें। पेट की मांसपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पेट पर हाथ रखकर महसूस कर सकते हैं। नाभि को अंदर की ओर खींचे। जैसे ही आप पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते है, सांस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुंच जाती है। कपालभाती प्राणायाम के एक राउंड को पूरा करने के लिए 20 बार सांस छोड़ें। कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम को पूरा करें।

लाभ:

-कपालभाति प्राणायाम के नियमित अभ्यास से करने से पाचन प्रक्रिया बढ़ती है और वजन कम करने में यह मददगार होता है।

-नाडि़यों का शुद्धिकरण होता है। पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है।

-डायबिटीज रोगियों के सबसे अधिक लाभदायक है।

-पेट की चर्बी को कम करता है। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जान्वित करता है।

2- भ्रामरी प्राणायाम

ऐसे करें: किसी भी शांत वातावरण, जहां पर हवा का प्रवाह अच्छा हो, वहां बैठ जाएं। कुछ समय के लिए आखों को बंद रखें और अपने शरीर में शांति व तरंगों को महसूस करें। तर्जनी ऊंगली को अपने कानों पर रखें। कान व गाल की त्वचा के बीच एक उपास्थि है, वहां ऊंगली रखें। एक लंबी गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए, धीरे से उपास्थि को दबाएं, यह प्रक्रिया करते समय भंवरे जैसी गुनगुनाहट वाली आवाज निकाले। इसे तीन से चार बार दोहराएं।

लाभ:

-हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए यह प्राणायाम की प्रक्रिया बेहद लाभ दायक है।

-अधिक गर्मी लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो यह प्राणायाम करना लाभदायक है।

-माइग्रेन के रोगियों के लिए यह प्राणायाम लाभदायक है।

-हाई ब्लड प्रेशर में भी इससे लाभ मिलता है।

3. स्वस्तिकासन

ऐसे करें: बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली यानी घुटने के नीचे के हिस्से के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाए। उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठे तथा रीढ़ को सीधा कर श्वास खींचकर यथा शक्ति रोंके। इसी प्रकार पैर बदलकर भी करें।

लाभ

-पैर का दर्द, पसीना आना दूर होता है।

-पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है।

4. मार्जरी आसन

ऐसे करें: चौपाए जैसा पोज बनाएं। घुटनों को जमीन से टिका दें, दोनों हाथों के पंजों को भी जमीन से लगा दें। अपनी गर्दन को आगे की ओर झुकाए। अब धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करे। अपने छाती से आगे के शरीर को नीचे की ओर करे।

लाभ:

-कमर दर्द में यह आसन बेहद लाभदायक है।

-इसके प्रयोग से दर्द की समस्या दूर होती है।

नोट: इन आसनों को किसी एक्सपर्ट की देख-रेख में ही करें।