योगेंद्र यादव को लेकर हुई बहस

पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में फैसला किया गया कि पीएसी का गठन दोबारा किया जाएगा. इस बैठक में जिस तरह से योगेंद्र यादव को लेकर बहस हुई. उसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें इस समिति में जगह नहीं मिलेगी. इसके साथ ही सूत्र बता रहे हैं कि केजरीवाल भी योगेंद्र यादव के कामकाज से खुश नहीं हैं. इस बीच आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति को नए सिरे से गठित करने का अधिकार दे दिया. इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) जब नए सिरे से बनेगी तो योगेंद्र यादव की छुट्टी हो जाएगी.

आतंरिक अलोकतंत्र से नाराज

पार्टी के नेताओं का कहना है कि जब से योगेंद्र यादव ने केजरीवाल की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हुए पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने को लेकर चिट्ठी लिखी है, तब से उनके और कुछ सीनियर नेताओं में वैसे रिश्ते नहीं रहे. 26 जनवरी को पहले दिन अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से नदारद रहे. पार्टी के कई नेताओं ने मांग की कि योगेंद्र यादव को पीएसी से बाहर किया जाए. इसके कारण कार्यकारिणी की बैठक दूसरे दिन भी हुई. दूसरे दिन पार्टी के केवल स्थाई सदस्यों ने बंद कमरे में इस मुद्दे पर चर्चा की. हालांकि इस बैठक में केजरीवाल, सिसोदिया और यादव मौजूद नहीं थे. बाकी सदस्यों ने कमेटी के पुनर्गठन के लिए वोट किया.

यादव ने दिया इस्तीफा

गौरतलब है कि पिछले साल जून में खुद योगेंद्र यादव ने इस समिति से इस्तीफा दिया था. हालांकि, पार्टी ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन ही केजरीवाल ने यह कहते हुए पार्टी संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया था कि वे अपना सारा वक्त राज्य को समर्पित करना चाहते हैं.

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