- यंग ब्यूरोक्रेट्स में नजर आ रही कुछ नया करने की चाह

- सीएम ऑफिस में भी हैं यंग आफिसर्स का बोलबाला

yasir.raza@inext.co.in

LUCKNOW : बुलंद हौसलों के साथ सूबे के यंग ब्यूरोक्रेट्स सामाजिक सुधार के कामों में अपना परचम लहरा रहे हैं। लीक से हटकर कुछ अलग करने की जज्बे ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है। ब्यूरोक्रेसी में इन अधिकारियों की पहल बाकियों के लिए नजीर बनती जा रही है तो मातहतों के लिए प्रेरणास्रोत। जिलों में तैनात 80 फीसद से अधिक युवा डीएम कोई ना कोई ऐसा काम कर रहे हैं जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

आशुतोष निरंजन, डीएम गोंडा

इनोवेटिव काम से चर्चा में

2010 बैच के आईपीएस आशुतोष निरंजन गोंडा के डीएम हैं। हाल ही में पोस्टिंग हुई है, लेकिन कुछ ही दिनों में ही उनकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है। गोंडा में जैसे जिले सरकारी आफिसों में वर्क कल्चर बहुत बुरा था। एक के बाद एक कार्रवाई करते हुए उन्होंने कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की। अब आलम यह है कि सरकारी दफ्तर साढ़े नौ बजे खुल जाता है। पहली मई को मजदूर दिवस के अवसर पर नई योजना शुरू करने जा रहे हैं जिसमें जिले के 1054 गांवों में एक साथ कम से कम कोई एक नया काम शुरू किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले सूचना निदेशक के पद पर रहते हुए कई नए आयाम भी गढ़े, जिसकी सबने तारीफ की।

कोट

गोंडा का चार्ज संभालने के बाद सबसे पहले यहां का सरकारी विभागों का जो वर्क कल्चर था उसे दुरुस्त किया। अब उन योजनाओं पर जोर है जो जिले में काफी पीछे हैं। आने वाले दिनों में गोंडा में काफी बदलाव नजर आयेगा।

भानु चंद्र गोस्वामी, डीएम जौनपुर

शहर को बनाया इंक्रोचमेंट फ्री

2009 बैच के आईएएस भानु चंद्र गोस्वामी जौनपुर के डीएम हैं। जौनपुर जैसे कंजस्टेड शहर की मुख्य समस्या इंक्रोचमेंट थी। भानु ने उसे दूर करने के लिए एक महीने की स्पेशल ड्राइव चलाई। जौनपुर को भी नवाबों का शहर कहा जाता है, वहां के हेरिटेज को संरक्षित करने के लिए काम किया और शहर के सौंदर्यीकरण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये लोगों कम संसाधनों में पार्को और चौराहों को सुंदर बनाया। हाल ही में आयोजित आईएएस वीक के दौरान सीएम अखिलेश यादव ने दो डीएम की खुल कर तारीफ की थी जिनमें उनका नाम भी शामिल था।

कोट

मैने वही काम किया जो पब्लिक इंट्रेस्ट का था। बस लोगों को अवेयर किया और लोगों ने सपोर्ट किया जिसकी वजह से जौनपुर जैसे शहर में कुछ बदलाव ला सका।

भानु चंद्र गोस्वामी, डीएम जौनपुर।

जुहैर बिन सगीर, डीएम मुरादाबाद

गांवों को बनाया हाईटेक

मुरादाबाद के डीएम जुहैर बिन सगीर 2006 बैच के आईएएस हैं। मुरादाबाद में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने गांवों का खास ख्याल रखा। खास कर उन गांवों का जिन्हें लोहिया या जनेश्वर मिश्र ग्राम से जोड़ा गया है। लोहिया ग्राम के लिए उन्होंने एक स्पेशल एप भी लांच किया है। इस एप के थ्रू आप मुरादाबाद के किसी भी गांव में हुए विकास कार्यो को कहीं से भी देख सकते हैं। बिना किसी घटना के पंचायत चुनाव संपन्न कराने के लिए उन्होंने इसी महीने की 24 तारीख को लखनऊ में सम्मानित भी किया जाएगा।

कोट

पब्लिक के हित की बात कीजिएगा तो आपको कामयाबी मिलेगी। मैंने वही किया। लोहिया ग्राम की निगरानी के लिए एक एप डेवलप किया गया। जिस पर कोई भी किसी भी गांव की डिटेल जान सकता है। यह हर 15 दिन पर अपडेट होती है।

सुहास एलवाई, डीएम आजमगढ़

आजमगढ़ को महानगर बनाने की जिद !

सुहास एलवाई 2007 बैच के आईएएस हैं। आजमगढ़ में रहते हुए उन्होंने सरकारी योजनाओं को किस तरह प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है और लिमिटेड बजट में से किस तरह अधिक से अधिक काम कराया जा सकता है, इसकी नजीर पेश की। उन्होंने आजमगढ़ में सड़कों के निर्माण पर खास काम किया। साथ ही पीपीपी मॉडल के तहत उन्होंने चौराहों और पार्को का सौंदर्यीकरण कराया। उनके कामों की तारीफ आईएएस वीक के दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी।

कोट

हमारी कोशिश है कि आजमगढ़ जिले का नाम प्रदेश के महानगरों की तरह हो। सिटी को महानगर की तर्ज पर डेवलप करने की कोशिश कर रहा हैं। एक साल में आजमगढ़ की तस्वीर काफी हद तक चेंज हुई है। आने वाले दिनों में और भी बदलाव देखने को मिलेगा।

सुहास एल वाई

डीएम आजमगढ़।

मासूम अली सरवर, डीएम पीलीभीत

पीलीभीत जैसे शहर को संवारा

मासूम अली सरवर 2009 बैच के आईएएस हैं और मौजूदा समय में पीलीभीत के डीएम हैं। पीलीभीत की मेन प्रॉब्लम इंक्रोचमेंट और जमीनों पर कब्जे की थी। उन्होंने इंक्रोचमेंट और जमीनों पर अवैध कब्जे के लिए स्पेशल ड्राइव चलायी। टाइगर रिजर्व के सौंदर्यीकरण के लिए काम शुरू किया है। साथ ही टाइगर का शिकार करने वालों के खिलाफ भी अभियान चलाकर उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहे हैं। जंगलों की अवैध कटान के खिलाफ चलाये गये अभियान में काफी लोग सलाखों के पीछे भी भेजा।

कोट

सरकार ने जो जिम्मेदारी दी है उसे निभाने के साथ कुछ अलग करना चाहिए। जिससे पब्लिक को फायदा हो। मैने भी सिर्फ वही करने की कोशिश की है।

- मासूम अली सरवर

डीएम पीलीभीत

राजशेखर, डीएम लखनऊ

लखनऊ को दी नयी पहचान

2004 बैच के आईएएस राजशेखर। फरवरी 2014 में लखनऊ के डीएम बने। सोशल मीडियम के जरिए उन्होंने पूरे लखनऊ को आपस में जोड़ने का काम किया। रिवर फ्रंट का काम शुरू होने से पहले नदी की सफाई का अभियान चलाया और खुद भी सफाई करते नजर आये। उन्होंने सभी सेक्टर के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और सबको आपस में जोड़ने का काम किया। अभी उन्होंने शराबियों के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए अपने पर्सनल नंबर पर और एक अन्य नंबर पर पब्लिक से फोटो भेजने की अपील की जिस पर धड़ल्ले से कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है।

किंजल सिंह, डीएम फैजाबाद

मिडडे मील के लिए डाइनिंग एरिया

लखीमपुर के डीएम के तौर पर किंजल सिंह के काम को आज भी याद किया जा रहा है। किंजल सिंह अब फैजाबाद की डीएम हैं। लेकिन उन्होंने लखीमपुर में पोस्टिंग के दौरान कई काम ऐसे किये जो लोगों को काफी भाए। स्कूलों में बच्चों के लिए उन्होंने मिड डे मिल के लिए शेड मुहैया कराया। इसके साथ ही उन्होंने थारू जनजाति के लिए एक अभियान चलाया। मुख्यधारा से बिल्कुल कटे हुए थारू समाज के लोगों को सम्मान के साथ पहचान भी दिलाई और उनके लिए रोजगार के अवसर भी दिए।