रिसर्च आर्गेनाइजेशन 'पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च' के आंकड़े के मुताबिक हाल ही में सम्पन्न संसद के मानसून सत्र में युवा सांसदों की बहस में भागीदारी का औसत कुल सांसदों के औसत से थोड़ा कम पाया गया है. 'पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च' के मुताबिक 45 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक सांसद की इस सत्र में बहस के दौरान भागीदारी 2.2 रही है जबकि सामान्य औसत 2.9 था.
इस सेशन के दौरान युवा सांसदों की उपस्थिति का औसत 77 फीसदी दर्ज किया गया,जबकि इसका सामान्य औसत 80 फीसदी था. युवा सांसदों ने हालांकि प्रश्न पूछने में सीनियर सांसदों से बाजी मार ली है. आंकड़ों के अनुसार औसतन प्रत्येक युवा सांसद ने 28 प्रश्न पूछे जबकि सामान्य औसत 25 का था. वहीं अगर 15वीं लोकसभा के अब तक के सात सत्रों के आंकड़ों पर गौर करें तो कई बड़े पॉलिटिशयंस का प्रदर्शन औसत से कम रहने का भी पता चलता है. वहीं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की अब तक सदन में उपस्थिति 43 फीसदी रही और सवाल पूछने का औसत 18.7 रहा है.
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा है. लोकसभा में उनकी उपस्थिति 64 फीसदी रही और उन्होंने 389 प्रश्न पूछे. पार्लियामेंट रुल के मुताबिक सदन के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष,विपक्ष के नेता और मंत्री एटेनडेंस रजिस्टर पर साइन नहीं करते, इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया,अगाथा संगमा, जितिन प्रसाद और सचिन पायलट सहित कई युवा मंत्रियों के विषय में जानकारियां नहीं दर्ज हैं. युवा सांसदों में सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी के अनुराग सिह ठाकुर का रहा, उनकी उपस्थिति 87 फीसदी रही जबकि उन्होंने 13 बहसों में भाग लिया और 135 प्रश्न पूछे.
वहीं एक अन्य युवा सांसद और वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की सिर्फ 59 फीसदी उपस्थिति रही और उन्होंने न तो किसी बहस में हिस्सा लिया और न ही कोई प्रश्न पूछे. कांग्रेस की प्रिया दत्त की उपस्थिति 62 फीसदी रही और उन्होंने आठ बहस में हिस्सा लिया एवं 74 प्रश्न पूछे. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल की 45 वर्षीय हरसिमरत कौर बादल की उपस्थिति 78 फीसदी रही और उन्होंने 13 बहस में हिस्सा लिया एवं 135 सवाल पूछे.
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