- परिजनों की आंखों में आ रहे थे आंसू लेकिन पिता ने बांधा हुआ था ढाढस

- शव को ले जाते वक्त पिता ने नहीं हारी हिम्मत, गमगीन माहौल में बेटे का शव लेकर हुआ गुलावठी के लिए रवाना

Meerut: पिता का सपना था कि बुढ़ापे में बेटा उनके लिए मजबूत लाठी और मुसीबतों में बड़ा सहारा बनेगा, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि उसी बेटे की अर्थी को उन्हें ही कंधा देना पड़ेगा। हर पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बेटा कंधा दे, लेकिन यह कैसी विडंबना है कि आज उसी बेटे को उन्हें अपने हाथों से मुखाग्नि दी, लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद शहीद सिपाही के पिता अपने को संभाले हुए थे। गम का पहाड़ उन पर टूट पड़ा था, लेकिन वह अपना ढाढस बांधे हुए थे।

पिता ने नहीं हारी हिम्मत

पोस्टमार्टम से लेकर बेटे के अंतिम संस्कार तक शहीद सिपाही के पिता सत्यपाल सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। पुलिस के कागजात पूरे कराने के साथ ही अपने बेटे को वापस घर ले जाते वक्त वह चुपचाप सारे कामों को कर रहे थे। इस दौरान जिस बदमाश की गोली का शिकार बेटा एकांत हुआ, उसको देखकर भी पिता शालीनता के साथ पोस्टमार्टम हाउस पर खड़े रहे, बदमाश की बहन अपने भाई की शिनाख्त करने के लिए आई थी। पुलिस पर तरह-तरह के आरोप लगा रही थी, लेकिन सत्यपाल सिंह चुपचाप खड़े हुए गम में डूबे हुए थे। उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा। आईजी आलोक शर्मा और डीआईजी रमित शर्मा, सपा नेता अतुल प्रधान, भाजपा नेता विनीत शारदा इस गम में शरीक होने के लिए सत्यपाल सिंह के पास पहुंचे, लेकिन वह अधिकारी और नेता से शालीनता से बातचीत करते रहे, उन्होंने अपने को पूरा संभाले हुए रखा। उनकी इस हिम्मत को देखकर अधिकारी और नेता भी भावुक हो रहे थे, लेकिन वह मन में ही गम को दबाए बैठे हुए थे। गमगीन माहौल में पिता की हिम्मत को सब सराहा रहे थे।