- एयरस्ट्राइक की पहल को सबसे ज्यादा सराहा, राजनी-टी में युवाओं ने रखी अपने मन की बात

- बेरोजगारी, एजुकेशन के साथ ही नेशनल मुद्दों पर भी जमकर हुई चर्चा

GORAKHPUR: चुनावी समर का शेड्यूल चंद दिनों में ही डिक्लेयर हो जाएगा। इस बार यंगस्टर्स भी अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी की ओर से खास मिलेनियल्स के लिए ऑर्गनाइज 'राजनी-टी' की चर्चा मंगलवार को बेतियाहाता में ऑर्गनाइज हुई। रेडियो सिटी से कार्यक्रम का संचालन कर रहे आरजे सारांश की मौजूदगी में देश के करीब सभी मुद्दों पर डिस्कशन किया गया। इसमें मंगलवार सुबह हुई एयरस्ट्राइक का मुद्दा भी उठा, तो वहां मौजूद सभी यंगस्टर्स ने इसका वेलकम किया और सेना की इस कार्रवाई की खूब सराहना की। इसके बाद जब दूसरे मुद्दे छिड़े तो बेरोजगारी, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया से जुड़े मुद्दों पर भी वहां मौजूद लोगों ने अपनी बातें रखीं। करीब एक घंटे तक चली इस चर्चा में लोगों ने दिल खोलकर बेबाकी से अपनी बातें रखीं।

जरूरी था यह कदम

पुलवामा में शहीद हुए जांबाजों की मौत पर सारा देश रोया। सभी जगह इसका जमकर विरोध भी हुआ। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'राजनी-टी' के लिए लोगों को मिले खास स्टेज 'मिलेनियल्स स्पीक' पर भी लोगों ने खूब चर्चा की और इंडियन गवर्नमेंट के साथ ही सेना से शहीदों की मौत का बदला लेने की अपील की। अभी 12 दिन ही बीते थे कि इंडियन एयरफोर्स ने अपने तेवर दिखा दिए और शहीदों की मौत का बदला पीओके में बनी चौकियों को नेस्तोनाबूद करके ले लिया। एयरफोर्स के इस कदम को यहां के नौजवानों ने बिल्कुल सही ठहराते हुए इस कदम को काफी जरूरी बताया। यंगस्टर्स का कहना था कि अगर इंडिया पहले ही यह कदम उठा लेता, तो इतनी बड़ी तादाद में जवानों की जान नहीं जाती और इस तरफ निगाह रखने वाले सभी देश या आतंकवादी एक बार जरूर सोचते।

जवाब देने की हो खुली छूट

देश के जवानों के ऊपर रूल्स की बेडि़यां जो पहनाई गई हैं, उसे यंगस्टर्स ने जल्द से जल्द हटाने की मांग की। यंगस्टर्स का कहना था कि सेना को हर आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ एक्शन लेने की खुली छूट होनी चाहिए, जिससे कि कोई अगर देश के खिलाफ गलत कदम उठाए, तो उसे करारा जवाब मिले। मिलेनियल्स ने इस बात की भी वकालत की कि सेनाओं के जवानों को मिलने वाली सुविधाओं को बढ़ाया जाए, वहीं उनकी सैलरी और पेंशन भी बढ़ाई जाए, जिससे कि उनके घरवालों को किसी तरह की प्रॉब्लम न फेस करनी पड़े और उनका फ्यूचर भी सिक्योर हो सके।

किसान वही जिनके पास भूमि नहीं

डिस्कशन के दौरान इस बात पर भी खूब डिस्कशन हुआ कि किसान सही मायने में हैं कौन? हाल ही में गोरखपुर से पीएम ने किसान सम्मान निधि का इनॉगरेशन किया है। इसमें ऐसे लोगों को पैसा मिल रहा है, जिसके पास पहले से जमीन है। जबकि सही मायने में आज के किसान वही हैं, जिनके पास भूमि नहीं है। वह अधिए या बट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं और जब उनकी फसल तैयार हो जाती है, तो इसके बाद बकाया और पैसा अदा करने के बाद उनके हाथ में कुछ भी नहीं बचता है। यही असल मायने में किसान हैं, जो आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। सरकार को पहले सही मायने में जो किसान हैं, उनको चिन्हित करना होगा, इसके बाद उनकी मदद कर अन्नदाताओं की रक्षा की जा सकती है।

कड़क मुद्दा

इस चर्चा में मौजूद लोगों ने एक बार फिर धारा 370 और 35ए को हटाने की मांग दोहराई। सबका यही कहना था कि धारा 370 के साथ ही कुछ और ऐसे मुद्दे हैं, जो सत्ता में न रहने वाली पार्टियों की प्रियॉरिटी लिस्ट में होते हैं, लेकिन जब उनकी सरकार बन जाती है, तो सभी इससे किनारा कर लेते हैं। इसलिए सिर्फ चुनावी मुद्दा न बने, बल्कि इस प्रॉब्लम का परमनेंट सॉल्युशन प्रोवाइड कराया जाए।

मेरी बात

बेरोजगारी देश का सबसे बड़ा मुद्दा है, इसे दूर करने के बजाए सरकारें सिर्फ अपनी राजनैतिक रोटी सेंक रही हैं। बेरोजगारी दूर करने के नाम पर लोगों को कर्जदार बनाया जा रहा है। ब्याज पर लोन देकर उन्हें काम करने का कहा जा रहा है। मगर कौन सा काम करना है? इसे कैसे शुरू किया जा सकता है? जैसे किसी भी तरह के सपोर्ट को देने में सरकारें बिल्कुल जीरो हैं। यही नहीं लोन लेने के लिए भी जब यूथ पहुंच रहा है, तो उससे इतनी फॉर्मेल्टीज पूरी करने को कहा जा रहा है कि उसे न चाह कर भी वापस लौटना पड़ रहा है। स्किल इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी स्कीम जो चल रही हैं, उन्हें प्रॉपर वे में लागू करना होगा और स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देनी होगी, जिससे कि वह किसी काम के लायक हों और उसे जो लोन दिया जा रहा है, उसे वह यूटिलाइज कर सके।

- प्रशांत कुमार

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

आर्मी में काम कर रहे जवानों की जिंदगी हर वक्त दांव पर है, उनका काम तो काफी रिस्की है ही वहीं उन्हें उस तरह से गवर्नमेंट का सपोर्ट भी नहीं मिल पाता है, जिसकी सही मायने में उनको जरूरत है। मगर सरकार सब कुछ जानने के बाद भी इस मुद्दे से जुड़े पहलुओं को नजर अंदाज कर देती है। उन्हें अपने सैनिकों की याद तभी आती है, जब कोई सैनिक देश की रक्षा करते हुए शहीद होता है। इसके बाद भी वह परमनेंट सॉल्युशन नहीं देते हैं, बल्कि सिर्फ चंद पैसे देकर अपना कोरम पूरा कर लेते हैं। उनकी सैलरी पर भी निगाह डाली जाए, तो यह एसी कमरों में पढ़ाने वाले टीचर्स और प्रोफेसर्स से काफी कम होती है। इनकी पेंशन भी बंद हो चुकी है। सरकार को चाहिए कि उनकी सैलरी में भी इनक्रीमेंट करें।

कोट्स

आतंकवाद और क्षेत्रीय घटनाओं को रोकना ही सरकार की प्राथमिकताएं होनी चाहिए। क्योंकि जब तक देश वासियों में इसका डर रहेगा, तब तक कोई काम करने की पहल नहीं कर सकेगा, इसका निगेटिव इफेक्ट ही सामने आएगा।

- सारिम

पुलवामा में सैनिकों की हुई मौत का बदला ऐसा ही होना चाहिए था। सरकार को ऐसे सख्त कदम उठाने होंगे, जिससे कि विरोधियों को सीमा में घुसने से पहले एक बार जरूर सोचना पड़े।

- सुजीत

एयर स्ट्राइक देश का गौरव बढ़ाने के लिए काफी अच्छा कदम है। मगर हमला कैसे हुआ और किसने कराया? यह बात अब तक सामने नहीं आई है। अंदर छिपे गद्दारों को भी ढूंढना जरूरी है।

- मोहम्मद हाशिर

एयरफोर्स के जवानों ने एयरस्ट्राक कर 300 से ज्यादा आतंकी मार गिराए हैं। यह कदम उठाना काफी जरूरी था। देश के लोगों को सेना की इस कार्रवाई पर गर्व है।

- अबुजर मोहसिन

बेरोजगारी को दूर करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। वह शिक्षा विभाग के साथ ही दूसरे विभागों में खाली पदों को भरें और लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराएं, जिससे देश के युवा देश के विकास में योगदान कर सकें।

- शिशिर

स्किल इंडिया स्कीम चल रही है, लेकिन इसे सख्ती से और सही मायने में लागू करना चाहिए। इससे लोगों की स्किल बेहतर होगी और वह भी लोगों को रोजगार देने में सक्षम हो सकेंगे।

- विक्की गौतम

एजुकेशन सिस्टम को और बेहतर बनाने की जरूरत है। वहीं जो रिसर्च स्कॉलर्स खाली भटक रहे हैं, उन्हें भी पढ़ाने के लिए यूटिलाइज करना चाहिए, जिससे कि शिक्षा का स्तर और बेहतर हो सके।

- उत्कर्ष