डिजिटल इंडिया का इस्तेमाल स्टीलिंग इंडियन के लिए
सरकार ने बैंकिंग से आधार कार्ड को जोड़ कर अपने डिजिटल इंडिया मूवमेंट को नयी जिंदगी देने की कोशिश की है। पर हकीकत में इसका इस्तेमाल स्टीलिंग इंडियंस यानि आम जनता को लूटने के लिए हो रहा है। फर्जी एजेंट बन कर लोग फोन के जरिए क्लासीफाइड इंफार्मेशन मालूम करते हैं और कार्ड धारक का बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं।

कैसे करते हैं काम
अपराधी बैंकर बन कर लोगों को फ़ोन करते हैं और उन्हें बताते हैं कि बैंक ने बेहतर ग्राहक सेवा देने के लिए आपके डेबिट कार्ड को आपके आधार नंबर के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है। जब ग्राहक उन पर विश्वास कर लेता है तो वे उससे डेबिट कार्ड का 12 अंको वाला नंबर मांगते हैं। इसके बाद व्यक्ति से उसका कार्ड के पीछे लिखा तीन अंकों का सीवीवी  नंबर और चार अंको वाला बैंक कार्ड एटीम पिन नंबर भी पूछ लेते हैं। इसके बाद ये तकनीक के जानकार चोर पेटीएम और बिलडेस्क जैसे एप्स के इस्तेमाल से वनटाइमपासवर्ड जनरेट करके कार्ड धारक से ये कह कर पूछ लेते हैं कि ये उनके आधार कार्ड को उनके बैंक के एटीएम और डेबिट कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया का हिस्सा है। जिस पर कार्ड धारक सहज यकीन कर लेता है। इसके बाद वो ओटीपी की वैधता की समय अवधि मे या तो खरीददारी करके या और कही कार्ड धारक के पेसे को इस्तेमाल कर डालता है।

कैसे करें बचाव
अब तक आप समझ ही गये होंगे कि आपके द्वारा उपलब्ध करायी गई जानकारी के जरिए ही ऐसे धोखे संभव होते हैं। तो कुछ खास बातों का ध्यान रख कर आप ऐसे हादसे बच सकते हैं।

  1. कोशिश करें की सामने वाले को रूबरू आकर बात करने को कहें और फोन पर कम से कम वार्ता करें।
  2. अपने कार्ड और व्यवसाय की प्राइवेट जानकारी बिलकुल सांझाा ना करें।
  3. बैंक कभी कभी भी आपका सीवीवी संख्या नही पूछता अत: उसे बिलकुल शेयर ना करें।

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