भीषण गर्मी सिर्फ इंसानों पर ही कहर नहीं बरपा रही। इसकी तपिश ने सेट टॉप बॉक्स को भी झुलसाना शुरू कर दिया है। एक ओर जहां सिग्नल डाउन होने की वजह से पब्लिक के एंटरटेनमेंट में जबर्दस्त खलल पड़ रहा है। वहीं चलते-चलते चैनल का गायब हो जाना भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। चैनल ऑन करते ही हाई वॉल्यूम की प्रॉब्लम भी आम बात हो चुकी है.
वीक हो गये सिग्नल
पारा 44 डिग्री के पार क्या पहुंचा सेट टॉप बॉक्स भी धोखा देने लगे। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद केबिल ऑपरेटर्स का कहना है। श्याम नगर के केबिल ऑपरेटर दिनेश बाजपेई के मुताबिक टेम्परेचर की वजह से सिग्नल सही से कनेक्ट नहीं हो पाते। इसीलिए टीवी स्क्रीन पर कुछ चैनल्स लगाने पर उनमें हमेशा ‘नो सिग्नल’ डिस्प्ले होता रहता है। दिनेश ने बताया कि तापमान बढऩे से सिग्नल वीक हो जाते हैं। मानक के हिसाब से सिग्नल की फ्रिक्वेंसी 90 होनी चाहिए। लेकिन तेज धूप की वजह से फ्रिक्वेंसी घटकर 60-65 तक पहुंच जाती है। इसीलिए चैनल का प्रसारण पॉसिबल नहीं हो पाता.
सबकुछ ठीक रहता है
गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में सिग्नल का प्रसारण काफी स्मूद होता है। इसीलिए सर्दियों में चैनल्स की ब्रॉडकास्टिंग में कोई समस्या नहीं आती। ऑपरेटर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अनिल अवस्थी ने बताया कि गर्मियों में दिन की तुलना में शाम को केबल का प्रसारण ज्यादा प्रभावित नहीं होता। क्योंकि ठंडक मिलने पर सिग्नल की फ्रिक्वेंसी खुद-ब-खुद इम्प्रूव हो जाती है। इससे ओवरकम होने के लिए ऑपरेटर को सिग्नल बढ़ाने पड़ते हैं। तब कहीं जाकर प्रसारण में सुधार होता है। इसलिए आपके टीवी सेट पर भी नो सिग्नल की प्रॉब्लम है। तो आप अपने ऑपरेटर से फौरन सिग्नल बढ़ाने के लिए कह सकते हैं.
नहीं बदले वॉयर
एक समस्या यह भी है कि कई एरियाज में चैनल चलते-चलते अचानक गायब हो जाता है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इसकी तफ्तीश करी तो मालूम हुआ कि घनी आबादी वाले ज्यादातर इलाकों में ऑपरेटर ने सेट टॉप बॉक्स तो लगा दिये हैं। लेकिन ऑप्टिकल फाइबर वायर और बूस्टर अब तक नहीं लगाये हैैं। पुराने तारों में जगह-जगह ज्वाइंट्स और कट हैं। मेंटीनेंस नहीं होने की वजह से यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। सिग्नल की फ्रिक्वेंसी कितनी भी क्यों न बढ़ा दी जाए चैनल्स को बीच-बीच में गायब होने से रोका नहीं जा सकता। ऑपरेटर्स के अनुसार हाइब्रिड बूस्टर में 860 मेगा हट्र्स की फ्रिक्वेंसी होती है। इससे कम में चैनल्स धोखा देने लगते हैं.
हाई वॉल्यूम की दिक्कत
सेट टॉप बॉक्स कंज्यूमर्स की एक कॉमन प्रॉब्लम यह भी है कि जैसे ही टीवी ऑन करो, चैनल का वॉल्यूम इतना तेज होता है कि उसे रिमोट से धीमा करना पड़ता है। हर बार यही समस्या होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो अपने टीवी का वॉल्यूम जरा चेक कर लीजिएगा। ऑपरेटर दिनेश बाजपेई के अनुसार टीवी और सेट टॉप का वॉल्यूम अलग-अलग होता है। अगर टीवी का वॉल्यूम मिनिमम कर दिया जाए। तो कस्टमर्स को ऐसी प्रॉब्लम फेस नहीं करनी पड़ेगी.
भीषण गर्मी सिर्फ इंसानों पर ही कहर नहीं बरपा रही। इसकी तपिश ने सेट टॉप बॉक्स को भी झुलसाना शुरू कर दिया है। एक ओर जहां सिग्नल डाउन होने की वजह से पब्लिक के एंटरटेनमेंट में जबर्दस्त खलल पड़ रहा है। वहीं चलते-चलते चैनल का गायब हो जाना भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। चैनल ऑन करते ही हाई वॉल्यूम की प्रॉब्लम भी आम बात हो चुकी है.
पारा 44 डिग्री के पार क्या पहुंचा सेट टॉप बॉक्स भी धोखा देने लगे। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद केबिल ऑपरेटर्स का कहना है। श्याम नगर के केबिल ऑपरेटर दिनेश बाजपेई के मुताबिक टेम्परेचर की वजह से सिग्नल सही से कनेक्ट नहीं हो पाते। इसीलिए टीवी स्क्रीन पर कुछ चैनल्स लगाने पर उनमें हमेशा ‘नो सिग्नल’ डिस्प्ले होता रहता है। दिनेश ने बताया कि तापमान बढऩे से सिग्नल वीक हो जाते हैं। मानक के हिसाब से सिग्नल की फ्रिक्वेंसी 90 होनी चाहिए। लेकिन तेज धूप की वजह से फ्रिक्वेंसी घटकर 60-65 तक पहुंच जाती है। इसीलिए चैनल का प्रसारण पॉसिबल नहीं हो पाता.
गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में सिग्नल का प्रसारण काफी स्मूद होता है। इसीलिए सर्दियों में चैनल्स की ब्रॉडकास्टिंग में कोई समस्या नहीं आती। ऑपरेटर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अनिल अवस्थी ने बताया कि गर्मियों में दिन की तुलना में शाम को केबल का प्रसारण ज्यादा प्रभावित नहीं होता। क्योंकि ठंडक मिलने पर सिग्नल की फ्रिक्वेंसी खुद-ब-खुद इम्प्रूव हो जाती है। इससे ओवरकम होने के लिए ऑपरेटर को सिग्नल बढ़ाने पड़ते हैं। तब कहीं जाकर प्रसारण में सुधार होता है। इसलिए आपके टीवी सेट पर भी नो सिग्नल की प्रॉब्लम है। तो आप अपने ऑपरेटर से फौरन सिग्नल बढ़ाने के लिए कह सकते हैं.
एक समस्या यह भी है कि कई एरियाज में चैनल चलते-चलते अचानक गायब हो जाता है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इसकी तफ्तीश करी तो मालूम हुआ कि घनी आबादी वाले ज्यादातर इलाकों में ऑपरेटर ने सेट टॉप बॉक्स तो लगा दिये हैं। लेकिन ऑप्टिकल फाइबर वायर और बूस्टर अब तक नहीं लगाये हैैं। पुराने तारों में जगह-जगह ज्वाइंट्स और कट हैं। मेंटीनेंस नहीं होने की वजह से यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। सिग्नल की फ्रिक्वेंसी कितनी भी क्यों न बढ़ा दी जाए चैनल्स को बीच-बीच में गायब होने से रोका नहीं जा सकता। ऑपरेटर्स के अनुसार हाइब्रिड बूस्टर में 860 मेगा हट्र्स की फ्रिक्वेंसी होती है। इससे कम में चैनल्स धोखा देने लगते हैं.
हाई वॉल्यूम की दिक्कत
सेट टॉप बॉक्स कंज्यूमर्स की एक कॉमन प्रॉब्लम यह भी है कि जैसे ही टीवी ऑन करो, चैनल का वॉल्यूम इतना तेज होता है कि उसे रिमोट से धीमा करना पड़ता है। हर बार यही समस्या होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो अपने टीवी का वॉल्यूम जरा चेक कर लीजिएगा। ऑपरेटर दिनेश बाजपेई के अनुसार टीवी और सेट टॉप का वॉल्यूम अलग-अलग होता है। अगर टीवी का वॉल्यूम मिनिमम कर दिया जाए। तो कस्टमर्स को ऐसी प्रॉब्लम फेस नहीं करनी पड़ेगी।
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