- कर रहा है नशा एचआईवी का शिकार

- मेरठ में यूथ को ग्रुपिंग नशा करने की है लत

Meerut। यूजीसी ने अभी हाल फिलहाल में यूनिवर्सिटीज व कॉलेजों में एंटी ड्रग्स कमेटी बनाने के लिए निर्देश जारी किए है। मेरठ में भी नशा युवाओं को निगल रहा है। शहर में इसके चौंकाने वाले आंकड़ें चिंता का विषय हैं।

एचआईवी का भी खतरा

मेरठ में भी नशा युवाओं पर हावी हो रहा है। शहर में नशा मुक्ति केंद्र और एचआईवी के आंकड़ें चौका रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार नशे के साथ एचआईवी भी युवाओं को अपना शिकार बना रहा है।

रिपोर्ट का कड़वा सच

नगर में नशा मुक्ति केंद्र कड़वी सच्चाई के सामने रख रहे हैं.सिटी में जागृति नशा मुक्ति केंद्र के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच सालों में 60 से अधिक युवा लोग एचआईवी की चपेट में है। सिटी के इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर आईसीटीसी की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 40 एचआईवी पॉजीटिव के नए केस सामने आ रहे हैं। प्राइवेट सेंटर्स की बात करें तो वहां भी सालभर में आठ से दस मरीज पहुंचते हैं। इनमें 80 प्रतिशत मरीज इंजेक्शन से नशा करने के बाद एचआईवी पॉजीटिव हैं।

सौ से अधिक युवा नशे के शिकार

अगर हम पिछले छह महीने की बात करें तो पिछले छह महीनों में सौ से अधिक नशे के मरीज आ चुके हैं। सभी की एज 20 से लेकर 24 के बीच है। जागृति नशा मुक्ति केंद्र में पिछले छह मंथ में आए इन मरीजों में अधिकतर कॉलेज या यूनिवर्सिटी के ही स्टूडेंट्स है। इसके अलावा इन सौ में 20 ग‌र्ल्स भी शामिल है। इसके अलावा अगर हम अभी की बात करें तो अभी भी नशा मुक्ति केंद्र पर 12 मरीज इसी एज के एडमिट है जो यूनिवर्सिटी व कॉलेज से हैं।

एक इंजेक्शन और एचआईवी

नश मुक्ति केंद्र के आउट वर्कर इंतखाब हुसैन के अनुसार अधिकतर एचआईवी इंफेक्शन ग्रुप में इंजेक्टिव नशा करने से होता है। इसमें गु्रप एक ही सीरिंज यूज करता है। रिसर्च के दौरान सामने आया है कि रोगी अलग-बगल क्षेत्रों से होने के बावजूद भी किसी एक जगह पर सामूहिक रुप से नशा करते हैं।

हाई प्रोफाइल के घरों के बच्चे

सिटी में मालगोदाम, कंकरखेड़ा, मलियाना फाटक, रामलीला ग्राउंड आदि इलाकों के निचले तबके। के अलावा हाई फाई फैमिली से भी इंजेक्टिव नशे में एचआईवी पॉजीटिव हो रहे हैं। इनमें कई सीए के बेटे और कई बड़े व्यापारियों के बच्चे है। कई बार देखा गया है कि एक दो बार इंजेक्टिव ड्रग्स लेने से एचआईवी की चपेट में भी आ जाते हैं।

परिवार तक पहुंच रहा है वायरस

नशा मुक्ति केंद्रों पर काफी केस ऐसे भी आए हैं। जिनमें एक व्यक्ति से सारा परिवार एचआईवी की चपेट में आ गया है। हुसनैन जैसदी ने बताया कि यहां पर जो भी इंजेक्टिव ड्रग्स के पेशंट आता है। पहले जांच के लिए आईसीटीसी भेजा जाता है। अगर केस एचआईवी हो तो उसको दवाओं और काउंसिलिंग से ट्रिट किया जाता है। एचआईवी वायरस बढ़ने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है खत्म होने पर एड्स होता है।

बेहद घातक अंजाम

एचआईवी पेशेंट का अगर ध्यान न दिया जाता तो वो चार पांच साल में डेथ हो जाती है। मरीज को दवाओं के साथ अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

डॉ। हरशीम रजा, नशामुक्ति केंद्र

इंजेक्शन से नशा करने वालों को भूख नहीं लगती है और शरीर कमजोर होता जाता है। ऐसे में उन्हें एड्स भी हो जाता है।

डॉ। सुहेल, काउंसलर, नशामुक्ति