-आरक्षण पर तार्किक बहस की बात हो, ताकि मेधा भी कुंठित न हो

PATNA: दोपहर का समय और सैदपुर हॉस्टल में युवाओं का जमावड़ा। यह खास अवसर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट मिलेनियल्स स्पीक 2019 के अंतर्गत राजनी टी के मुद्दों पर चर्चा का था। इसमें हॉस्टल के स्टूडेंट्स ने शिक्षा, रोजगार, शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार, ब्रेन ड्रेन और कौशल विकास के पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। साथ ही आरक्षण की बात जब आयी तो कड़क बातें छिड़ने से बहस को बल मिला। छात्रों ने कहा कि ऐसे अवसर और मिले ताकि वे अपनी बातें मुखर तरीके से रख सके।

शिक्षा की दशा और दिशा बदलनी चाहिए। जब तक यह नहीं होगा तब तक रोजगार की बात करना भी बेमानी होगी। क्योंकि बेहतर और संपूर्ण शिक्षा ही रोजगार का अवसर दिलाता है। राजनी टी की चर्चा की शुरुआत इन्हीं बिन्दुओं के साथ हुई। युवाओं ने बारी-बारी से इसमें सुधार के लिए कई सुझाव दिए। युवाओं की ताजगी भरी सोच में समाधान का सैलाब दिखा। अतुल कुमार ने चिंता जाहिर किया कि अभी यूनिवर्सिटी डिग्री बांटने का केन्द्र हो गया है। वहीं, अभिषेक आनंद ने यूनिवर्सिटी स्तर पर ही स्किल इंडिया मिशन को शुरू करने पर बल दिया। चर्चा आगे बढ़ी तो आरक्षण के मुद्दे पर जोरदार बहस हुई। जहां इसे संवैधानिक अधिकार बताते हुए किसी प्रकार की कमी को गलत बताया। जबकि दूसरी ओर मेधा का सम्मान करने के लिए सरकारी महकमों में अनिवार्यता पर पुनर्विचार करने की बात कही गई।

सरकार मेधा का डेटा बनाए

सुधारवादी सोच रखने वाले युवाओं ने उच्च मेधा वाले युवाओं का डेटा तैयार करने पर जोर दिया। बाल मुकुंद कुमार ने कहा कि सरकार यदि विशेषज्ञता को ध्यान में रख डेटा बेस बनाए ताकि जरूरत पड़ने पर युवाओं को मौका मिल सके। वहीं, धीरज कुमार ने चिंता जताई कि बिहार के कई जिलों से युवा पटना आते हैं। सिर्फ इसलिए कि उनके गृह जिलों में समय पर परीक्षा नहीं होती है इसके कारण स्नातक तीन साल की बजाय पांच साल में होती है।

डिजिटल इंडिया हो व्यापक

शशि गुंजन कुमार ने कहा कि डिजिटल इंडिया की सोच अच्छी है। लेकिन इसे व्यापक बनाने की जरूरत है। क्योंकि अभी यह बडे़ शहरों तक ही प्रभावी है। इसे हर शहर और गांव तक पहुंचाने की जरूरत है। वहीं, कोरे मुद्दों को ही वास्तविक मुद्दा भी बताया।

मेरी बात

प्रशांत राय ने बताया कि जापान, कोरिया में करीब 90 परसेंट से अधिक लोग स्किल्ड हैं लेकिन अपने देश में बिहार जैसे राज्य में यह मात्र 3 से 7 परसेंट है। केवल सरकारी नौकरी से रोजगार का हल नहीं निकल सकता। कम पढ़े-लिखे भी मानव संसाधन हैं, यह सरकार को भी मानना चाहिए, उन्हें उनकी क्षमता के विकास का अवसर मिले। दूसरी बात, सरकार ही सरकारी संस्थानों को कमजोर कर रही है। जैसे सरकारी यूनिवर्सिटी से अधिक सुविधा प्राइवेट यूनिवर्सिटी में मिलती है। इस पर ध्यान देना जरूरी है।

कड़क बात

मिलेनियल्स स्पीक के दौरान कड़क मुद्दों पर खुलकर बात हुई। इसमें आरक्षण के मुद्दे और उसकी प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा किया गया। इसमें तार्किक बहस की जरूरत है। यह बात रखते हुए बालमुकुंद ने कहा कि बात आरक्षण के विरोध का नहीं है बल्कि बेहतर मेधा को अवसर नहीं मिलने का है। वहीं, ब्रेन ड्रेन के मुद्दे भी रखे गए। इस बारे में अभिषेक आनंद ने कहा कि देश के युवा देश के लिए काम आएं इसकी जिम्मेदारी सरकार को भी निभानी चाहिए।