RANCHI : अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो अक्टूबर से राजधानी वासियों को बिजली नहीं तड़पाएगी। टीवीएनएल की सालों से बंद दूसरी यूनिट को फिर से चालू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। इस यूनिट में प्रोडक्शन शुरु होने के बाद करीब 170-200 मेगावाट बिजली राज्य को मिल सकेगी। इससे काफी हद तक बिजली की किल्लत दूर करने में सहूलियत होगी। टीवीएनएल के मैनेजिंग डायरेक्टर कुलदीप चौधरी ने बताया कि राज्य के इस इकलौते थर्मल पावर स्टेशन की एक यूनिट से इन दिनों 160 से 170 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है, जबकि दूसरी यूनिट ठप है। इसे भी अक्टूबर से शुरू करने की योजना है।

कोयले का नहीं है कमी

टीवीएनएल के एमडी कुलदीप चौधरी ने बताया कि यहां उत्पादन के लिए जितने कोयले का स्टॉक होना चाहिए, वह मौजूद है। दूसरी यूनिट को शुरू करने के लिए जो जरूरतें हैं उसे पूरी की जा रही है। दूसरी यूनिट में उत्पादन को लेकर कोयले का स्टॉक भी बढ़ाया जा रहा है। सितंबर महीने के लास्ट तक में अच्छा खासा स्टॉक जमा हो जाएगा और दूसरी यूनिट से भी बिजली उत्पादन शुरु हो जाएगा।

हर दिन 200 मेगावाट ज्यादा मिलेगी बिजली

टीवीएनएल की दूसरी यूनिट चालू होने के बाद हर दिन करीब दो सौ मेगावाट ज्यादा बिजली मिलेगी। यह बिजली पूरे राज्य के लिए उपलब्ध होगी। मालूम हो कि इस प्लांट के दोनों यूनिटों की कुल उत्पादन क्षमता 440 मेगावाट है, लेकिन फिलहाल एक यूनिट से लगभग 170 मेगावाट ही बिजली मिल रही है।

420 मेगावाट है टीवीएनएल की कैपासिटी

टीवीएनएल की ललपनिया स्थित टीटीपीएस में दो यूनिट है। इसकी क्षमता 420 मेगावाट है, पर यूनिट नंबर एक बंद है। एक यूनिट से फिलहाल 160 से 170 मेगावाट उत्पादन हो रहा है। टीवीएनएल झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को हर महीने लगभग 70 से 80 करोड़ रुपये की बिजली बेचता है, लेकिन निगम की ओर से केवल 45 करोड़ रुपये ही दी जाती है, जबकि टीवीएनएल महीने में 50 करोड़ का कोयला ही खरीदता है। टीवीएनएल के महीने का खर्च 60 करोड़ के करीब है। बिजली वितरण निगम द्वारा केवल 45 करोड़ रुपये ही दिये जाने की वजह से टीवीएनएल सीसीएल को पूरी राशि का भुगतान नहीं कर पा रहा है।

झारखंड को चाहिए 2200 मेगावाट बिजली

झारखंड को हर दिन करीब 2200 मेगावाट बिजली चाहिए, लेकिन कम पावर सप्लाई से लोड शेडिंग करनी पड़ रही है। फिलहाल झारखंड को 1750 मेगावाट बिजली डीवीसी, सेंट्रल पूल, आधुनिक पावर व इनलैंड पावर से मिलती है। इसमें सबसे अधिक बिजली डीवीसी से 750 मेगावाट के करीबी खरीदी जाती है।