PATNA: पटना देश की सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार है। इसमें ईट-भट्ठों से होने वाले प्रदूषण भी चिंताजनक स्तर पर है। ईट-भट्ठों की चिमनी से निकलने वाले ब्लैक कार्बन और जहरीली हवा उस इलाके में रहने वाले लोगों के लिए घातक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने अगस्त, 2019 तक सभी ईट-भट्ठों को जिक जैक तकनीक पर संचालित करने का आदेश दिया है। यदि कोई इस समयावधि के बाद परंपरागत (फिक्स चिमनी बुल ट्रेंच निल) तरीके से संचालन करेगा तो उसे बंद कर दिया जाएगा। बोर्ड सूत्रों के अनुसार ऐसे अधिकांश गतिविधियां परंपरागत तरीके से ही हो रही है। ऐसे सभी संचालकों को कम प्रदूषण करने वाली जिक जैक पद्धति को अपनाना ही होगा।

क्यों चाहिए नई तकनीक

पटना में बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण ईट-भट्ठों से निकलने वाला प्रदूषण है। जिक जैक तकनीक से संचालित होने वाले ईट-भट्ठों में परंपरागत

(फिक्स चिमनी बुल ट्रेंच निल) की अपेक्षा करीब 50 प्रतिशत से

अधिक प्रदूषक तत्वों की कमी

होती है। प्रदूषण के मामलों पर काम कर रही संस्था सीड की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने कहा कि कोयला बड़ा फैक्टर है। परंपरागत तरीके से बनने वाले ईट-भट्ठों की तुलना में जिक जैक तकनीक में कोयला पूरा जलता है और इसमें कोयले की 20 प्रतिशत तक बचत भी होती है। जो फ्यूचर के लिए लाभदायक भी है।

क्या है जिक जैक तकनीक

जिक जैक तकनीक में ईटों को इस प्रकार से अरेंज किया जाता है जिसमें गर्म हवा टेढ़े- मेढे़ रास्ते से होकर गुजरती है। टेढे़- मेढ़े रास्ते से होकर हवा के गुजरने के कारण ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग होता है। कोयले की खपत कम होती है।