- विदेशों में जीका वायरस से बढ़ रहे खतरे के मद्देनजर डीजी हेल्थ ने जारी किया अलर्ट

- अब फॉरेन से आने वाले हर एक पैसेंजर की होगी विशेष जांच, लगातार रखी जाएगी नजर

VARANASI

ब्राजील सहित दुनिया भर के करीब दो दर्जन देशों में हजारों लोगों की जान के लिए खतरा बने 'जीका' वायरस को लेकर बनारस को भी अलर्ट किया गया है। संभावना है कि भारत में जीका वायरस किसी भी फॉरेन से आने वाली फ्लाइट से संक्रमित पैसेंजर के रूप में एंट्री कर सकता है। खतरे की इस संभावना और व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के निर्देश को देखते हुए प्रदेश के डीजी हेल्थ ने बनारस के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट को एलर्ट रहने को कहा है। इसके साथ जीका का खतरा टलने तक फॉरेन से आने वाली हर एक फ्लाइट के हर एक पैसेंजर चाहे वो फॉरेनर हो या इंडियन, सबको चेक करने और सर्विलांस पर रखने की योजना है।

इंसान रहेंगे सर्विलांस पर

जीका को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट कितना अलर्ट है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फॉरेन से आने वाले लोगों को एक महीने तक सर्विलांस पर रखा जाएगा। आमतौर से मोबाइल की कॉल्स और लोकेशन को ट्रैक करने के लिए सर्विलांस व‌र्ल्ड यूज होता है लेकिन जीका के मामले यही काम इंसानों के साथ होगा। वो भी एक-दो दिन नहीं बल्कि एक महीने तक। इसके लिए एयरपोर्ट पर ही पैसेंजर्स की पूरी डिटेल रजिस्टर में दर्ज होगी। उसे आगे कहां-कहां जाना है, ये भी पता किया जाएगा। संबंधित एरिया के सीएमओ और हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम उस व्यक्ति के हेल्थ पर नजर रखेगी। यदि उसमें जीका वायरस के लक्षण दिखे तो उसे तुरंत अंडर कवर लेकर ट्रीटमेंट दिया जाएगा। ये एहतियात इसलिए है ताकि जीका संक्रमित व्यक्ति अनजाने में वायरस को और न फैला दे।

सीएमओ को देना होगा सूचना

चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ महानिदेशक की ओर से यूपी के बनारस, लखनऊ व एयरपोर्ट पर जीका स्क्रीनिंग सेल बनाने का ऑर्डर जारी हो चुका है। ऑर्डर में कहा गया है कि यूपी के लखनऊ व बनारस एयरपोर्ट पर भी फॉरनर्स, टूरिस्ट व अफ्रीकन कंट्रीज में काम करने वाले इंडियंस के आने की संभावनाएं है। इसलिए उनकी निगरानी करना इम्पॉर्टेट है। सेल को देखना होगा कि पैसेंजर अफ्रीकी देशों में कितने दिन तक रहा है या फिर वहां के किसी व्यक्ति के संपर्क में कितने दिन रहा है। अगर ऐसा पैसेंजर एयरपोर्ट पर सर्विलांस व स्क्रीनिंग में पाया जाता है तो सेल उसके होम डिस्ट्रिक्ट के सीएमओ सहित रिलेटेड ऑफिसर को पैसेंजर का नाम, पता व मोबाइल नंबर तुरंत भेजेगा। इसके बाद रिलेटेड ऑफिसर्स उस पैसेंजर पर डेली नजर रखेंगे और इसकी रिपोर्ट शासन को देते रहेंगे।

ब्राजील में ब्000 से ज्यादा बच्चे प्रभावित

कुछ साल पहले स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू और इबोला के वायरस से पूरी दुनिया परेशान थी। अब मच्छरों से पैदा होने वाला जीका वायरस कई देशों के लिए मुसीबत बन गया है। डब्लूएचओ ने इस वायरस के प्रति भारत को भी अलर्ट रहने की सलाह दी है। सिर्फ ब्राजील में ही इस वायरस ने ब् हजार से ज्यादा बच्चों प्रभावित है जिससे उनके ब्रेन डेवलपमेंट प्रभावित हो चुका है। जबकि अमरीकी कॉन्टिनेंटल व सब-ट्रॉपिकल रीजन में यह लगातार फैलता जा रहा है। फिलहाल ऐसी कोई दवा या इलाज मौजूद नहीं है, जो जीका वायरस से लड़ सके।

क्या है जीका वायरस

जीका वायरस एडीस मच्छर के काटने से फैलता है। ये वही मच्छर होता है, जिसके काटने से डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर जैसी बीमारियां होती हैं।

जीका का इतिहास

क्9ब्7 में यूगांडा के जीका के जंगलों में रहने वाले बंदरों में सबसे पहले इस वायरस का संक्रमण नजर आया जिसकी वजह से इसे जीका नाम मिला। क्9भ्ब् में पहले इंसान के अंदर जीका वायरस देखा गया। कई दशकों तक इसके इंसानों पर संक्रमण के केस नहीं मिले। लेकिन ख्007 में माइक्रोनेशिया के एक द्वीप याप पर इस वायरस ने महामारी के तर्ज पर हमला बोला। तब से अब तक ये वायरस अपने पैर पसारते ही जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया कि जीका 'भयानक तरीके से' अमेरिकी देशों में फैल रहा है और अनुमान है कि अब तक ब्0 लाख तक लोगों तक ये संक्रमण फैल चुका है। डब्लूएचओ ने भारत सहित उन सभी देशों को चेतावनी जारी की हैं जहां ऐडीज मच्छरों के वाहक पाए जाते हैं।

जीका के लक्षण और प्रभाव

-जीका लक्षण बच्चों और बड़ों में इसके लगभग एक ही जैसे होते हैं जैसे बुखार, शरीर में दर्द, आंखों में सूजन, जोड़ों का दर्द और शरीर पर रैशेस यानी चकत्ते हो जाते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर दो से सात दिन तक रहते हैं।

-कई संक्रमित लोगों में इसके लक्षण नहीं भी दिखते जबकि कुछ मामलों में यह बीमारी नर्वस सिस्टम को ऐसे डिसऑर्डर में बदल सकती है, जिससे पैरलिसिस भी हो सकता है।

-जीका से सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को है, क्योंकि इसके वायरस से नवजात या गर्भ में पल रहे शिशुओं को माइक्त्रोसिफेली होने का खतरा है।

- बीमारी से बच्चों के मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं हो पाता और उनका सिर सामान्य से छोटा रह जाता है।

ऐसे पता चलेगा वायरस से खतरा

जीका वायरस का पता लगाने के लिए पॉलिमीरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) व ब्लड टेस्ट कराकर आप इस वायरस का पता लगा सकते हैं। लखनऊ में इसका टेस्ट पॉसिबल है।

ऐसे कर सकते हैं वायरस से बचाव

-जीका वायरस मच्छरों के काटने से होता है, इसलिए खुद के शरीर को पूरी तरह ढक कर रखें।

-हल्के रंग के कपड़े पहनें। इसके अलावा कीड़ों से बचने वाली क्रीम या मच्छरदानी का यूज करें।

-मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें।

अब तक नहीं कोई कारगर दवा

आज के समय में तो इस वायरस से लड़ने का कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। जीका वायरस के संक्रमण से रिलेटेड अगर आपको कोई भी लक्षण नजर आए या दर्द और फीवर की समस्या पैदा हो, तो सामान्य दवाओं के साथ अधिक से अधिक पेय पदाथरें का सेवन करें।

ये भी जानिये जीका के बारे में

- वर्तमान समय में जीका ब्राजील समेत दुनिया के ख्ख् से ज्यादा देशों में फैल चुका है।

- इसका सबसे ज्यादा संक्रमण लैटिन अमेरिकी देश के लोगों में देखने को मिल रहा है।

- शुरुआती अनुमान है कि तीस से चालीस लाख लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

- ब्राजील इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देश है जहां ब्000 से ज्यादा केसेज दर्ज हुए हैं।

- ब्राजील के इतिहास में ये अबतक की सबसे घातक बीमारी के रूप में दर्ज हुई है।

- ब्राजील सेना के दो लाख सैनिकों को जन जागरूकता के कार्यक्रम में लगाया गया है।

- साइंटिस्ट का दावा है कि इस साल के अंत तक जीका प्रतिरोधी टीका आ जाएगा।

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अभी तक एक भी पेशेंट में जीका ट्रेस नहीं हो पाया है। हालांकि सावधानी के तौर पर जीका को देखते हुए बनारस में एलर्ट जारी किया गया है। डीडीयू हॉस्पिटल में आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।

डॉ। आरके सिंह

एसीएमओ